ओवरथिंकिंग एक बीमारी
जी आपने सही पढा है अधिक विचार आना एक बीमारी है आमतौर पर हम ऐसा कहते हैं कि कि यह तो नॉर्मल है कभी कबार अतीक विचार आ जाते हैं पर अगर यह लंबे समय तक ऐसे ही चलता रहे तो यह एक बीमारी का स्वरूप ले लेती है इस बीमारी में व्यक्ति मानसिक तौर पर बहुत ही परेशान रहता है और छोटी-छोटी बातों पर जितना सोचना चाहिए उससे कहीं अधिक सोच लेता है और यही उसके लिए बहुत तकलीफ दाई बनता है तो आज हम इसके बारे में थोड़ी बहुत चर्चा करेंगे कि आखिर और थिंकिंग एक बीमारी है या फिर सामान्य इसके लक्षण क्या है और इसका उपाय क्या हो सकता है
G.A.D जनरल एंजायटी डिसऑर्डर
ओवरथिंकिंग के लक्षण
- जनरल इनसाइटी डिसऑर्डर का मतलब सामान्यीकृत विकृत चिंता इस बीमारी में व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर अधिक मात्रा में चिंतन करने लगता है उदाहरण के तौर पर अगर व्यक्ति छोटा बच्चा यानी स्कूल जाने वाला बच्चा है तो वह यह सोचता है कि अगर कल मैं जल्दी नहीं उठ पाया और स्कूल जाने में लेट हो गया तो फिर टीचर से बहुत डांट पड़ेगी और दूसरे साथ ही विद्यार्थी मुझ पर बहुत हसेंगे वास्तव में ऐसा कुछ हुआ नहीं है पर उसने बैठे बैठे उसके बारे में तो सोचा कि कल लेट हो जाएगा तो क्या होगा पर उसके आगे भी क्या होगा उसके अंतिम परिणाम तक बहुत जाता है ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति जो घटना घटित ही नहीं हुई है और उसकी संभावना भी बहुत कम है उसके बारे में सोचते सोचते इतना आगे तक सोच लेता है कि उसका अंतिम परिणाम क्या हो सकता है वहां तक पहुंच जाता है और यह उसके लिए बहुत ही कष्ट दाई बन जाता है
- बहुत ही ज्यादा पसीना आना
- शरीर की मसल्स नहीं हुआ खींचे हुए रहना आया ऐसा लगना
- पेट खराब रहना
- हाथों में कंपन आना इत्यादि इसके लक्षण है
ओवरथिंकिंग बीमारी होने के कारण
1) अगर आपके फैमिली में किसी को भी यह बीमारी है या फिर हुई हो तो संभावना बहुत ही बढ़ जाती है कि यह आपको भी हो सकती है
2) कुछ केमिकल रिएक्शन जो हमारी बॉडी में होते हैं उनकी वजह से यानी कुछ केमिकल जो हमें खुशी देने का कार्य करते हैं उनकी मात्रा कम हो जाने से भी यो बीमारी हो सकती है या नहीं और थिंकिंग के शिकार हो सकते हैं या फिर चिंता के शिकार हो सकते हैं
ओवरथिंकिंग के नुकसान
ओवरथिंकिंग या अतिव्यय के नुकसान बहुत होते हैं। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य, सामरिक और मनोवैज्ञानिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
1. शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएँ:
लंबे समय तक काम करने से शारीरिक तनाव, निद्रा की कमी, चक्कर आना, हृदय संबंधी बीमारियों, ओबेसिटी, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, पीठ दर्द, मांसपेशियों के दर्द, संयंत्रित रोगों और दौर्जन के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
2. मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ:
ज्यादा काम करने से तनाव बढ़ता है और यह मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। यह चिंता, चिढ़ापन, चिढ़ाने की आदत, दिमागी तनाव, डिप्रेशन, असमंजस और अन्य मानसिक समस्याओं के लिए आवास बन सकता है।
3. रिश्तों के नुकसान:
अतिव्यय के कारण समय की कमी के चलते परिवारिक और सामाजिक संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, आपका समय परिवार, मित्रों और पार्टनर के साथ बिताने के लिए उपलब्ध नहीं होता है और रिश्तों में दूरी पैदा हो सकती है।
4. कार्य के गुणवत्ता का प्रभाव:
ज्यादा काम करने से कार्य के गुणवत्ता पर असर पड़ता है। आपकी मनसिक और शारीरिक तत्परता में कमी होती है, जिससे आपके कार्य को मद्देनजर ध्यान नहीं मिल पाता है। इसके कारण आपकी कार्य क्षमता, क्रियाशीलता और नवीनता पर असर पड़ता है।
5. निरंतर तनाव:
अतिव्यय के कारण तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि यह आपको आपके काम और समय की चिंता में डाल सकता है। इससे आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है और यह आपके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी असंतुलन पैदा कर सकता है।
यहां दिए गए नुकसान व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। संतुलित जीवनशैली अपनाने और काम और विश्राम के बीच संतुलन बनाए रखने से ओवरथिंकिंग से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
ओवरथिंकिंग का इलाज और उपाय
1) इस बीमारी में आप कि किसी साइकोलॉजिस्ट का संपर्क कर उन्हें दिखाएं और उनके द्वारा बताई गई दवाइयों नियमित लेने से यह ठीक हो सकती है
2) दूसरी है साइकोथेरेपी इसमें साइकोलॉजिस्ट थ्योरी का उपयोग करके आपको नेगेटिव विचारों से पॉजिटिव विचारों की ओर ले जाने की कोशिश करते हैं और यह भी कारगर साबित होती है
3) अगर आपको या फिर आपके परिवार में या फिर किसी आपके करीबी में अधिक विचार यानी ओवरथिंकिंग की प्रॉब्लम है तो उसे सामान्य नो समझकर आपके नजदीकी साइकोलॉजिस्ट यानी मनोचिकित्सक का संपर्क करें क्योंकि वह व्यक्ति जो इसका शिकार है वह ना जाने में ही बहुत ही अधिक मात्रा में इस बीमारी में मानसिक तौर पर असहनीय पीड़ा को बर्दाश्त करता है पर उसे यह सामान्य लगता है उसके हिसाब से तो यह बीमारी नहीं है उसे तो ऐसा लगेगा कि यह उसका स्वभाव है ज्यादा सोचने का इसीलिए उसकी जरूर मदद करें और अगर आप खुद इसके शिकार है तो इससे बाहर निकलने की कोशिश करें और ज्यादा लगे तो डॉक्टर का संपर्क करें