कर्म क्या है? कर्म फल क्या है? कर्म फल कैसे काम करता है? कर्म फल की जरुरत क्या है?

          कर्म फल की सरल व्याख्या यह है की हम जो कर्म करते हैं उसका हमे जो फल मिलता है उसे कर्म फल कहेते है। आइए इसे आज के समय के प्रचलित उदाहरण से समझते है। जब आंख ने फल देखा तो मन मे लालसा पैदा हुवी आंख तो फल तोड ने जा नही सकती इसी लिए तोड ने गए पैर पैर तोड नही सकते तो तोड़ा हाथ ने उतने मे ही माली आ गया और डंडे पडे पीठ को तो पीठ ने कहा हाय रे मेरा क्या कसूर हाय रे मेरा क्या कसूर तभी आंसू निकले आंख से क्यू की देखा उसीने था। आखिर में हमारा किया घुम के हमी पे आता है। 

॥●॥ वेसे तो कर्म के दो प्रकार है।
  1.  बुरा कर्म – बुरा कर्म उसे कहेते है जिस कर्म को करने से संसार के किसी भी जीव का अहित होता हो, उसे हानि पोहचती हो, उसे कस्ट हो ऐसे कर्म को बुरा कर्म कहेते है। अगर आप जानबूझकर किसी को चोट पोहचाओ या उसका अहित करो उसकी भावनाओं को ठेस पोहचाओ ये सभी बुरे कर्म है और इन कर्म का फल हमे बुरा ही मिलता है। एक कहावत हे जो इसी पर बनी है ” जो दूसरो के लिए गढा खोदता है वह खुद उस गढे मे गिरता है ” ।
  2. अच्छा कर्म – अच्छा कर्म उसे कहेते है जिस कर्म को करने से आपके द्वारा किसी भी जीव आत्मा को सुख की अनुभूति हो उसे अच्छा कर्म कहेते है। जैसे की आप किसी भूखे को भोजन कराते हो , किसी जरुरतमंद की जरुरत को पूरा करते हो ,  किसी बेजुबान पशु पक्षी के लिए उनके भोजन की व्यवस्था करते हो…..वगैरा। ऐसे अनेको अच्छे कर्म है और उनका फल भी वैसा ही मिलता है। ” जेसी करनी वैसी भरनी ” ।

 हम हमारे कर्म करने के लिए स्वतंत्र है। हम जैसा कर्म करते है वैसा फल हमे मिलता है। ऐसा नहीं है की आपने जो कर्म किया है उसका फल आपको तुरंत मिलेगा ऐसा नहीं है। वो ईस्वर के द्वारा निर्धारित किए गए समय पेही आपको मिलेगा। कई बार हमे हमारे कर्म का फल तुरंत ही मिलता है। जैसे की आप ने कीसी पागल कुत्ते को लात मारी और कुत्ते ने आपको काट लिया। यहा पर आपने कुत्ते को लात मारी ये आपका कर्म है और कुत्ते ने काटा ये आपको आपके कर्म का फल मिला।
       कोइ भी कर्म करने से पहले ये याद रखियेगा की उस कर्म का फल आपको ही भुगतना पडेगा। हमेशा कर्म निस्वार्थ भाव से करे कोइ फल की आशा की ये बिना। क्यू की कर्म करना तो हमारे हाथमें है पर उसका फल देना ईस्वर के हाथ मे है। इसी लिए कीसी भी प्रकार की चिंता किए बिना अच्छे कर्म करते रहिए।
                            ॥●॥धन्यवाद॥●॥

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