आयुर्वेद क्या है ?

☆आयुर्वेद का अर्थ            

  –  आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः।              
अर्थात जो शास्त्र (विज्ञान) आयु (जीवन) का ज्ञान कराता है उसे आयुर्वेद कहते है।
  – आयुर्वेद नाम का अर्थ है जीवन से संबंधित ज्ञान ।

☆ इतिहास
     – कहा जाता है कि आयुर्वेद वेदो जितना ही पुराना है।
     – चरक सुश्रुत कश्यप आदि मान्यो ग्रंथ कार आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद मानते है।
    – कई लोग इसे पांचवा वेद कहते है।

☆ मान्यता

     – आयुर्वेद जीवन जीने का विज्ञान है। आयुर्वेद किसी रोग को खत्म नहीं करता बल्कि पहले वह रोग किस वजह से हुआ है उसकी जड़ों को जानने के बाद उसकी जड़ों को ही खत्म करने का काम करता है। ताकि वह रोग आपको दोबारा ना हो। आयुर्वेद की औषधियां के अधिकांश घटक जड़ी बूटियां, पौधे, फूल, आदि से प्राप्त की जाती है। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है। आयुर्वेद का मानना है कि रोगो को मत पकड़ो पर उसके होने के कारण को पकड़ो और उसे खत्म करो तो रोग अपने आप ही खत्म हो जाएगा। यह सिर्फ रोगो को खत्म करने का ज्ञान नहीं है। यह निरोगी रहने का और स्वस्थ जीवन जीने का भी ज्ञान है। आयुर्वेद में हमें क्या खाना चाहिए, क्यों खाना चाहिए, कब खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए क्या पीना चाहिए, क्या नहीं पीना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए…… यह सब कुछ हम जीवन के दरमियान जो भी करते हैं वह सब बताया गया है।

☆ सदुपयोग

– पहला तो आयुर्वेद के कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
– आयुर्वेद दर्द को जड़ से खत्म करता है।
– आयुर्वेद की दवाइयां हमारे चारों ओर मौजूद है और सस्ती भी है और यहां तक हमारे रसोईघर में भी मिल जाती है।
– जो व्यक्ति स्वस्थ है वह अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आयुर्वेद के नियमों का पालन कर सकता है

☆ दुरुपयोग

 – एलोपैथिक की दवाइयों की तरह इसके कोई दुष्परिणाम नहीं है।
 – हां एक बात है जैसे हमारी पांच उंगलियां समान नहीं है वैसे ही हम सबके शरीर भी विभिन्न विभिन्न प्रकार के हैं इसका मतलब यह है कि सबके शरीर की प्रकृति अलग-अलग है इसलिए पूरी जानकारी के बिना इसका उपयोग न करें।
– खुद के डॉक्टर खुद ना बने। आयुर्वेद के डॉक्टर की सलाह अनुसार  करें।

      

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