डर से डरना बंद करें और डर से आगे बड़े। darse darna bandh kare or darse Aage badhe |

डर से डरना बंद करें और डर से आगे बड़े।

डर की व्याख्या

       वास्तव में डर होता क्या है। यह जानना बहुत ही जरूरी है। डर को खत्म करना है। तो आपको उसकी जड तक जाना होगा। किसी भी चीज, किसी भी घटना, किसी भी व्यक्ति, किसी भी वस्तु का डर अगर खत्म करना है। तो पहले हमें डर की व्याख्या जाननी होगी। कि डर आखिर होता क्या है। डर क्यों उद्भव होता है। डर यानी किसी भी वस्तु, किसी भी घटना के प्रत्यय का आपके मन में उद्भव हुआ भय। जो दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है। यह आपको अंदर से खोखला करता है। आपके दिल को कमजोर बनाता है और आपके मन में उस चीज, उस जगह, उस परिस्थिति, उस व्यक्ति के लिए मन में डर बैठ जाता है।

डर के प्रकार

       वैसे तो डर के कई प्रकार होते हैं। कभी किसी को किसी जगह से डर लगता है, किसी व्यक्ति से डर लगता है, किसी को किसी परिस्थिति से डर लगता है, किसी को अंधेरे से डर लगता है, किसी को अकेलेपन से डर लगता है, किसी को लोगों के बीच जाने में डर लगता है, किसी को स्टेज पर जाने का भय होता है ना जाने अनगिनत प्रकार के भय होते हैं। और हर किसी मैं किसी ना किसी प्रकार का भय होता ही है। शायद इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं होगा जिसके मन में किसी भी प्रकार का डोर ना हो। हर इंसान को अलग-अलग प्रकार का डर होता है।

डर का सामना कैसे करें

        आज के जमाने में हम इतनी हद तक गिर गए हैं कि हम डर से लड़ने की बजह, उसका सामना तक नहीं करते। अगर किसी व्यक्ति को अंधेरे से डर लगता है। तो व्यक्ति उस डर को भगाने की बजह और अधिक डरता है। अगर वह चाहे तो उस डर को भगा सकता है। पर वह उसके लिए प्रश्न ही नहीं करता, उसके लिए आगे ही नहीं बढता।  किसी को किसी व्यक्ति से डर लगता है। किसी को किसी जगह पर जाने से डर लगता है। सब के अलग-अलग डर होता हैं। पर उन सब को भगाने का एक ही तरीका है। उसका सामना करके। कोई डर इतना बड़ा नहीं होता कि वह आपकी जान ले ले। इसीलिए डर का सामना करें। जब तक आप डर का सामना नहीं करेंगे तब तक आप डर को अपने मन से भगा नहीं सकते।

सबसे बड़ा डर

       इस दुनिया का सबसे बड़ा डर देखा जाए तो मृत्यु है। क्योंकि कोई व्यक्ति को अगर किसी व्यक्ति से डर लगता है। किसी जगह से डर लगता है। किसी को अंधेरे से डर लगता है। यह सब तो मामूली डर है क्योंकि अंततः मृत्यु के अलावा कोई सत्य नहीं है। सब मृत्यु और जन्म के बीच के ही है। इसीलिए किसी ऐसे छोटे-मोटे डर से डरने की जरूरत नहीं है। और देखा जाए तो मृत्यु ही आखिरी सत्य नहीं है। इसीलिए उस से भी डरने की जरूरत नहीं है। इसीलिए डट के डर का सामना करें।

डर से डरेंगे तो डर आपको और डरायेगा ।

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