धर्म क्या है? उसकी जरुरत क्यू है ? धर्म क्या सीखता है? What is reunion?

                ‍     ■          धर्म क्या है ?        ■

       वैसे तो धर्म की कई परिभाषा है । धर्म सूर्य की तरह हैं जेसे सूर्य के उदय होने के साथ ही समग्र संसार अंधकार से मुक्त होकर जैसे प्रकाशित होता हे । उसी तरह धर्म की स्थापना से संसार मेसे अधर्म का नाश हो जाता है।

        धर्म का दुसरा अथॅ ही न्याय हे । जीस कार्य या विचार से दूसरों का अहित हो वो अधर्म है। धर्म कभी भी किसी के साथ अन्याय नही करता।  जो धर्म दूसरों की प्रति हिन् भावना पैदा करे वो धर्म नही अधर्म हे । धर्म  कभी भी किसी के साथ भेद भाव नहीं करता जाहे वो कोइ राजा हो या कोइ रंक ही क्यु ना हो।
        धर्म दूसरों से प्रेम करना सिखाता है ओर अधर्म नफ़रत करना। धर्म जीवन को जीने की एक रीत है । जीवन मे क्या कर ना उचित है ओर क्या कर ना अनुचित वो हमे धर्म सिखाता है। धर्म आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। 

           वो धर्म ही है जो हमे सिखाता है की क्या पुण्य है ओर क्या पाप है । जीस से हम आगे जाके कबी बी पाप की राह पर ना जाये। सदा अच्छे काम करे ओर दूसरों का भला करे ।  
           जो  व्यक्ति धर्म के रास्ते पर चलता है। सत्य का साथ देता है ।सत्य की राह पर चलता है । हमेशा दूसरों का हित सोचता है। अपने से निर्बल की रक्षा करता है । वो इनसान कभी भी जीवन में दुखी नहीं होता। 
     
                                 
                 

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