इमोशनल वीकनेस को कैसे दूर करें क्या होती है इमोशनल वीकनेस ।

इमोशनल वीकनेस

आज के समय में आप और मैं सब देख पा रहे कि आम आदमी शारीरिक तौर पर तो कमजोर है ही साथ ही साथ वह इमोशनली भी बहुत कमजोर होता जा रहा है व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर बड़ी प्रतिक्रिया देने लगे हैं यदि किसी भी व्यक्ति को जीवन में कोई बड़ा कार्य करना है या किसी उच्च लक्ष्य को हासिल करना है तो पहले उस व्यक्ति को शारीरिक तौर पर तो मजबूत होना ही होगा पर साथी साथ इमोशनल भावात्मक मजबूत आई भी उतनी ही जरूरी है

इमोशनल वीकनेस किसे कहते हैं ?

आपको पता होगा कि आपके दादा परदादा के स्वर में रिश्ते एक बार बन जाने के बाद इतनी आसानी से नहीं टूटते थे पर आज आप अपने आसपास देख सकते हो कि कहीं लोग जिनकी नई नई शादी हुई होती है वह लोग 1 साल 2 साल के बाद एक दूसरे से अलग होते जा रहे हैं क्योंकि समझ में तो उनके बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा शुरू हो जाता है और आखिर में उनके रिश्ते का अंत आ जाता है


इमोशनल वीकनेस को कैसे दूर करें क्या होती है इमोशनल वीकनेस



अगर कोई व्यक्ति शारीरिक तौर के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी और इमोशनली भी मजबूत है तो वह व्यक्ति जीवन में निश्चित ही सफलता प्राप्त कर सकता है इमोशनली कमजोर व्यक्ति जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि उस व्यक्ति की खुशी और दुख दूसरे व्यक्तियों पर निर्भर करता है वह व्यक्ति जिसे अपना सबकुछ मान कर बैठ जाता है वही व्यक्ति उसको खुश करने का और दुखी करने की ताकत रखता है


ऐसी जिंदगी का क्या फायदा जिसमें आपका खुश होना और दुखी होना किसी और व्यक्ति के हाथ में हो वह जब चाहे तब आपको दुखी कर दे वह जब चाहे तब आपको हंसा ले ऐसी जिंदगी जीने से तो मरना बेहतर है इसीलिए हम आज इस कमजोरी से बाहर निकले के रास्तों के बारे में जानेंगे


इमोशनली मजबूत कैसे ने ?

इमोशनली मजबूत बनने के लिए आपको सबसे पहले खुद को इंपॉर्टेंस दीनी शुरू करनी होगी किसी भी व्यक्ति को अपना सबकुछ मान कर मत बैठ जाइए आप नहीं जानते कि कोई इंसान कैसा हो सकता है क्योंकि आज के समय में जो दिखता है वह वैसा होता नहीं 

आपको दूसरों से ज्यादा खुद को महत्व देना होगा क्योंकि अगर आप दूसरे कोई व्यक्ति को या कोई पात्र को ज्यादा महत्व देते हैं तो वह व्यक्ति आगे जाकर आपकी कमजोरी बन जाता है मैं यह नहीं कहता कि किसी को महात्मा मत दीजिए दीजिए परंतु हद से ज्यादा नहीं क्योंकि जब कोई भी चीज हद से ज्यादा हो जाती है तो उसका अंत निश्चित होता है इसीलिए एक निश्चित हद तक ही किसी व्यक्ति को महत्व देना चाहिए मैं यह नहीं कहता कि उसको महत्व मत दीजिए

आज के समय में लोग बहुत ही स्वार्थी हो गए हैं जिसको आप अपना सबकुछ मान रहे हो वह शायद किसी स्वार्थ के कारण ही आपसे जुड़ा हो सकता है और जब किसी भी व्यक्ति का स्वार्थ पूरा हो जाता है तो वह व्यक्ति उस जगह या तो उस इंसान को छोड़ देता है और तब जब जिसको आपने अपना सब कुछ माना था वह व्यक्ति आपको छोड़ देगा या छोड़कर चला जाएगा तब आप खुद को संभाल नहीं पाएंगे इसीलिए सबसे ज्यादा महत्व खुद को ही दीजिए

एक चीज याद रखिए हमारे आसपास जो भी लोग हमसे जुड़े हुए हैं वह किसी ना किसी स्वार्थ सही जुड़े हुए हैं यहां तक कि हमारे मां-बाप पिया हमसे हमारे स्वार्थ से जुड़े हुए हैं मैं यह नहीं कहता कि वह स्वार्थी स्वार्थ और स्वार्थी इन दोनों में काफी अंतर है । इसके बारे में हम फिर कभी चर्चा करेंगे इसीलिए किसी पर भी आंख बंद करके विश्वास मत करिए और किसी को भी हद से ज्यादा महत्व मत दीजिए कि वह आपको दुखी करने की ताकत रखें

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