सच बोलने से होने वाले नुकसान । sach bolne se hone vale nuksan |

       कई बार हमने यह देखा है कि, सच बोलने से हमारा नुकसान हो गया हो। पर जितना यह सत्य है उतना ही यह भी सत्य है कि झूठ बोलने से जितना नुकसान हमें होता है उससे तो सच बोलने से हमें कम ही नुकसान होता है। यह बात आपने और मैंने सब ने सुनी हुई है कि अगर किसी बात को छुपाने के लिए हम एक बार झूठ बोलते हैं तो उस बात को छुपाने के लिए हमे और कई और झूठ बोलने पड़ते हैं और यह वाकेही ही सच्ची बात है।

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आज हम यहां पर सच बोलने से क्या क्या नुकसान हो सकते हैं इसके बारे में चर्चा करेंगे।

🌟सच बोलने के नुकसान

जी हां, आपने सही पढा कभी कबार हमें सच बोलने से कई भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसीलिए हमें सोच समझकर ही सच्च बोलना चाहिए। मैं यह नहीं कहता हूं कि हमें सच नहीं बोलना चाहिए। पर समय, परिस्थिति और स्थान देखकर ही हमें सच बोलना चाहिए।

⚡️ इसे में आपको उदाहरण से समझाने की कोशिश करता हूं।

मान लीजिए कि आप एक ऐसे व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं जो जन्म से ही देख नहीं सकता और वहां जाकर आप उसे बात बात पर अंधा कह कर बुलाएंगे तो सामान्य तह उस व्यक्ति को जरूर बुरा लगेगा और हमें ऐसे सच नहीं बोलना चाहिए जिससे किसी को ठेस पहुंचे। यह सिर्फ कुदरत की ओर से दी गई आपूर्ति वाले व्यक्तियों के साथ ही ऐसा करना चाहिए बाकी सब जगह हमें सच बोलना चाहिए।

कई बार हमें रिश्तेदारी निभाने के लिए भी झूठ बोलना पड़ता है। जैसे कि, कोई व्यक्ति आपके लिए कुछ तोहफा लेकर आया है और उस तोहफे में आपके लिए घड़ी लेकर वह आया है। परंतु आपको वह घड़ी पसंद नहीं आई। परंतु इस समय हमें व्यक्ति को ऐसा नहीं कहना चाहिए कि आपने बहुत ही बेकार तोहफा दिया है। हमें उन्हें यही कहना चाहिए कि यह घड़ी बहुत ही सुंदर है और मुझे बहुत ही पसंद आई।

कभी कोई व्यक्ति कोई अच्छे इरादे से कोई नेक काम करने जा रहा हो और उस कार्य में उसे अगर झूठ का सहारा लेना पड़े और उस बात का आपको पता हो और आप सामने वाले व्यक्ति को सच बता दे तो जो व्यक्ति अच्छा करने के इरादे से कोई कार्य कर रहा था उसे आपकी वजह से कई बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है और आगे जाकर वह इंसान कभी भी कोई अच्छा कार्य करने के लिए तैयार नहीं होगा।

🌟तो फिर क्या हमें सच बोलना ही नहीं चाहिए

    जी बिल्कुल नहीं, मैं ऐसा नहीं कह रहा। आपको हमेशा सत्य ही बोलना चाहिए और सच का ही साथ देना चाहिए। चाहे भले ही सच बोलने से कितनी बड़ी मुश्किल क्यों ना खड़ी हो। परंतु इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जो सच आप बोल रहे हो वह सामने वाले व्यक्ति को किस हद तक दुख पहुंचा सकता है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जिसमें अंधे व्यक्ति को अंधा नहीं कहना चाहिए। इस तरह का सच हमें बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए। परंतु अगर कोई व्यक्ति कुछ बुरा कार्य कर रहा है और आप उसे कहे कि आप गलत कर रहे हो और उस वजह से सामने वाले व्यक्ति को बुरा लगे तो लगने देना चाहिए। उसमें आपने कुछ गलत नहीं किया आपने बिल्कुल सही किया।

कहा जाता है कि, झूठ कितना ही बड़ा क्यों ना हो पर उसकी जड़ें कमजोर होती है। वैसे ही सच कितना ही छोटा क्यों ना हो पर उसकी जड़ें बहुत गहरी होती है। इसीलिए सच को हराना बहुत मुश्किल है। इसीलिए हमेशा सत्य बोलने और सत्य का ही साथ दें।

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