हवस ओर प्रेम के बिच का अंतर । Havas or prem ke bicha ka Antar |

 अभी के समय में लोग अपनी हवस को प्रेम का नाम देते हैं। तो आज हम हवस और प्रेम के बीच के तफावत को जानेंगे।

अभी के समय में

अभी के समय में लोग अपनी हवस को प्रेम का नाम देते हैं। कहते हैं मुझे तो उससे प्रेम है। पर जब उनकी हवस की प्यास बुझ जाती है तब पता नहीं उनका प्रेम कहीं गायब ही हो जाता है। आज के समय में लोग किसी व्यक्ति के भीतर के गुणो को देखने की वजह उनके बाहर के शारीरिक रूप सुंदरता और बाहरी आकर्षण देखते हैं और मोहित हो जाते हैं और अपने इस मोह को प्रेम का नाम दे देते हैं।

लोग आकर्षण और प्रेम के बीच के तफावत को समझ नहीं पाते। आकर्षण बहुत ही छोटे समय के ही लिए ही प्रभावी रहता है। जबकि प्रेम वह किसी समय का मोहताज नहीं होता। प्रेम और हवस में काफी अंतर होता है। वह अंतर बारीकी होता है। इसीलिए किसी को पता नहीं चलता।

प्रेम और हवस का तफावत 

प्रेम में हवस की कोई जगह नहीं होती। प्रेम में निस्वार्थ ता होती है। जबकि हवस में शारीरिक सुख प्राप्त करने की इच्छा होती है। हवस में मतलब छुपा होता है। जबकि प्रेम में कोई भी हेतु नहीं छुपा होता। प्रेम में लोग दूसरों को सुख पहुंचाने की इच्छा रखते हैं। जबकि हवस में उसे उल्टा होता है। हवस में लोग दूसरों से सुख प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। हवस इंसान को शैतान बना देती है। आजकल हमे समाज में देख ने को मिलता है कि कभी-कभी लोगों पर हवन किस कदर सवार हो जाती है कि वह किसी उम्र का ख्याल किए बिना वह शैतान बच्ची तक को नहीं छोड़ते। आज के जमाने में सोशल मीडिया और फिल्मों का इसमें बहुत बड़ा किरदार निभाते हैं। 

सारांश

यदि आप किसी व्यक्ति से प्रेम करने का दावा करते हैं। पर आपके कार्य उनसे सुख प्राप्ती करने के उदेश्य से करते हैं। तो वह प्रेम नहीं है। प्रेम में व्यक्ति खुद से ज्यादा सामने वाले व्यक्ति के बारे में सोचता है। हवस सबसे खतरनाक नशा है। वह आपकी जिंदगी को बर्बाद करने तक की ताकत रखती है। इसलिए हमेशा हवस से दूर रहे और प्रेम के पास।

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