चिंता छोड़ें और चिंतन शुरू करें | chinta chhode or chintan sharu kare |

 चिंता छोड़ें और चिंतन शुरू करें आज हम चिंता और चिंतन दोनों के बीच के अंतर को समझने का प्रयास करेंगे


चिंता

चिंता चिता के समान होती है चिंता आपको अंदर से खोखला बना देती है चिंता आपको अंदर ही अंदर आती जाती है और आपको शरीर से तो नहीं पर मन से कमजोर बनाती है और उसका परिणाम आपको आपके शरीर पर और आपके सामाजिक जीवन पर देखने को मिलता है चिंता करने से हम किसी भी नतीजे पर कभी नहीं पहुंचते हमें चिंता छोड़ देनी चाहिए क्योंकि चिंता करने से हम जो हो रहा है उसे रोक तो नहीं सकते और अगर हम उसे रोक सकते हैं तो फिर चिंता करने की क्या जरूरत

चिंतन

चिंता और चिंतन में बहुत ही बड़ा फर्क है चिंतन यानी जिस विषय पर आप सोच रहे हैं उस पर किसी नतीजे पर पहुंचना उसे ही चिंतन कहते हैं चिंतन कुछ समय में ही पूर्ण हो जाता है जब की चिंता कभी खत्म ही नहीं होती और बढ़ती जाती है चिंतन करने से आप किसी ना किसी नतीजे पर पहुंचे थे पर चिंता में इससे उल्टा होता है आप और ज्यादा उस में बसते जाते हैं इसीलिए चिंतन और चिंता में बहुत बड़ा अंतर है

चिंता और चिंतन दोनों में से कौन अच्छा

चिंता और चिंतन का अंतर आपको ऊपर दिया गया है अगर आपको किसी बात की परेशानी है तो चिंता छोड़ चिंतन करना चाहिए क्योंकि चिंता करने से कुछ नहीं होता चिंतन करने से आप किसी ना किसी नतीजे पर पहुंचते हैं अगर आपको कोई परेशानी है तो उस पर चिंतन करें ना कि उसकी चिंता करें और चिंतन करके किसी निर्णय तक पहुंचे

आपको चिंता करनी है या चिंतन यह दोनों आपके हाथ में है चिंता करने से किसी का भला नहीं होता चिंता से शारीरिक और मानसिक दोनों बीमारियां आने की संभावना रहती है जबकि चिंतन करने से आप इन सब से बच सकते हैं और किसी नतीजे पर पहुंचते हैं इसीलिए चिंता करे चिंता ना करें 

धन्यवाद

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