मोक्ष किसे कहते है ?
मोक्ष यानी जीवन और मृत्यु चक्र से बाहर निकलकर अनंत अनंत को प्राप्त करने का मतलब परमात्मा को प्राप्त करना होता है। और एक व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि वह हमेशा खुश रहे। व्यक्ति हमेशा सुख की चाह नहीं करता है, चाहे वह व्यक्ति कोई भी हो। किसी भी व्यक्ति को दुख नहीं चाहिए, सब सुख ही प्राप्त करने की कोशिश करते हैं और हमेशा आनंद में रहना चाहते हैं। तो मोक्ष का दूसरा नाम ही अनंत आनंद है, जो कभी खत्म नहीं होता। वहां दुख का नामोनिशान नहीं होता, उसे ही मोक्ष कहते हैं।
मोक्ष यानि परमात्मा से मिलन, अंतिम अवस्था मनुष्य जीवन का एकमात्र लक्ष्य होता है। यह अलग बात है कि सब लोग इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते हैं, परंतु जो व्यक्ति इस समय जीवन के लक्ष्य को जानता है, वह व्यक्ति इस लक्ष्य को हासिल करने की पूरी कोशिश करता है और कई बार इसमें सफलता भी प्राप्त कर जाता है। चलिए, मोक्ष को विस्तार से जानने का प्रयास करें।
सुख के दो प्रकार है, पहला क्षणिक सुख दूसरा अनंत सुख
क्षणिक सुख:
जीवन में दो प्रकार के सुख होते हैं, जिनमें से ज्यादातर संगीत का सुख होता है जो कुछ पल के लिए ही हमें आनंदित करता है और फिर पुनः वापस उसी स्थिति में लाकर रख देता है। पुनः वही दुख और सुख का चक्र शुरू हो जाता है।
अनंत सुख(मोक्ष):
वैसे तो इस धरातल पर ऐसी कोई चीज या ऐसा कोई कार्य नहीं होता है, जो शिवा एक कार्य करते हैं। यह कार्य हमें अनंत सुख, यानी अपार आनंद जिसका कोई अंत नहीं होता है, लाने की स्थिति में रखता है। सिर्फ मोक्ष ही ऐसी एक स्थिति है, जहां मनुष्य हमेशा के लिए अपार आनंद में लीन हो जाता है। यह अनंत आनंद की स्थिति है और इससे अधिक कुछ नहीं होता, क्योंकि यह आत्मा का परमात्मा से मिलन है।
जीवन लक्ष्य
मनुष्य को जन्म में मनुष्य होने का सिर्फ़ एक ही लक्ष्य होना चाहिए, वह है मोक्ष। इस जीवन और मृत्यु के चक्र से बाहर निकलना। आपने और हमने अपने जीवन में कई गोल बनाए हैं, लेकिन वे सब मोक्ष के आकर्षक से छोटे हैं। हमने आज तक कोई ऐसा लक्ष्य नहीं बनाया है जो हमें मोक्ष की ओर ले जाए। ऐसा नहीं है कि मोक्ष के लिए हमें तपस्या करनी पड़ेगी, बहुत ही कठिन साधना आवश्यक है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन सब में पहले तीनों हमें मोक्ष की ओर ले जाने में बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं। वैसे ही उनका आचरण दैनिक जीवन में अपनाकर हम मुक्ति की ओर बढ़ सकते हैं।
मोक्ष यानी संक्षेप में
मोक्ष यानी जीते जी परमात्मा की प्राप्ति करने का मतलब होता है, जीते जी अनंत आनंद में लीन होना, एक साधारण मनुष्य से ऊपर उठकर एक सिद्ध पुरुष की श्रेणी में शामिल होना।
FAQ’s
1. मोक्ष क्या होता है?
मोक्ष यानी जीवन और मृत्यु चक्र से बाहर निकलकर अनंत अनंत को प्राप्त करने का मतलब परमात्मा को प्राप्त करना होता है। यह उस स्थिति को कहते हैं जहां दुख का नामोनिशान नहीं होता और हमेशा आनंद में रहा जाता है।
2. मोक्ष का अर्थ क्या होता है?
मोक्ष का अर्थ होता है “परमात्मा से मिलन” या “अंतिम अवस्था मनुष्य जीवन का लक्ष्य”। यह वह स्थिति है जहां मनुष्य हमेशा के लिए अपार आनंद में लीन हो जाता है।
3. मोक्ष की परिभाषा क्या होती है?
मोक्ष की परिभाषा यह है कि यह जीवन का एकमात्र लक्ष्य होता है और मनुष्य को जीवन और मृत्यु चक्र से बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन सभी के पालन की आवश्यकता होती है।
4. मोक्ष के लिए कौन-कौन से साधनों की आवश्यकता होती है?
मोक्ष के लिए तपस्या, आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति, सेवा, संयम, ध्यान, और कर्मयोग जैसे साधनों की आवश्यकता होती है।