जब से हम सोचने और समझने लगे हैं तब से हम सब ने यह सुन रखा है कि यह तो सब नसीब का खेल है। पर क्या सच में जो भी कुछ हमारे साथ होता है वह हमारे नसीब का खेल है?- kya naseeb hota hai ?
क्या वह पहले से ही तय होता है? कि क्या-क्या हमारे साथ होने वाला है। तो आज हम इसके बारे में जानेंगे।-naseeb kya hota hai ?
नसीब क्या है – नसीब क्या होता है
आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि मेरा तो नसीब ही खराब है। या फिर दूसरे से सुना होगा कि उसका तो नसीब अच्छा है। पर वास्तव में यह नसीब क्या होता है। पहले इसको समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे मन में बहुत सी गलत धारणा बन गई है। इसके बारे में उनमें से एक धारणा यह है कि नसीब के हिसाब से जो भी हमारे साथ होता है उसमे हमारा कोई हाथ नहीं होता पर सच इस सबसे अलग है। आज तक आपके समझने में नहीं आया होगा कि क्या सच में नसीब होता है या नहीं।
नसीब का सही अर्थ – naseeb kya hai
पहले तो नसीब इस शब्द की व्याख्या को जानना बहुत जरूरी है। मेरे हिसाब से नसीब कर्म फल का पर्याय है। क्योंकि या तो नसीब हो सकता है या तो कर्म फल का सिद्धांत हो सकता है। क्योंकि सच और झूठ कभी एक ही स्थान पर एक ही साथ नहीं रह सकते या तो सच हो सकता है या तो झूठ हो सकता है। इसमें बीच वाला रास्ता नहीं होता। हम सब की यह धारणा है कि जो भी नसीब से में मिलता है वह बिना कुछ किए ही मिलता है। कहीं यह सब लिखा होता है। पर ऐसा कुछ नहीं होता सच्चाई यह है कि जो भी कुछ हमारे साथ घटित होता है। वह चाहे अच्छा हो या बुरा। वह सब हमारे किए गए कर्मों का ही फल होता है। वह चाहे पहले के आपके किए गए हुए कर्मों का हो या अभी हाल ही में किए हुए कर्मों का फल हो।
उदाहरण
हमारे यहां एक कहावत बड़ी मशहूर है कि जैसी करनी वैसी भरनी और यह 100% सत्य भी है। हम जैसा करते है वैसा ही हमें हमारा कर्मों का फल भी मिलता है। आपको मैं एक उदाहरण से समझाता हूं खेत में जब आप गेहूं का धान बोलेंगे तो बदलेमे आपको गेहूं ही मिलता है ना कि बाजरा।
यहा हमें यह सीखने को मिलता है कि हम जैसा कर्म करेंगे हमें वैसा ही कर्म फल मिलेगा और हां उसके समय के अनुसार ही मिलेगा। ना तो हम इसमें कुछ बदलाव कर सकते हैं और ना ही भगवान इसमें कुछ बदलाव करते हैं। क्योंकि यह नियम सबके लिए एक समान होता है। इसीलिए भगवतगीता में भी कहा गया है कि अच्छे कर्म करते रहिए और फल की चिंता मत कीजिए। क्योंकि वह आपको आज नहीं तो कल मिल ही जाएगा।
सारांश
हमारे पुराने किए गए कर्मों के फल को ही नसीब कहते हैं।