आज हम उम्र और समझदारी के बारे में बात करेंगे। कई लोगों का कहना है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है। वैसे वैसे इंसान के अंदर समझदारी आती जाती है। क्या यह सच है? चलो आज इसका विश्लेषण करते हैं।
उम्र
उम्र यानी एक नंबर जो दर्शाता है। कि आपके शरीर के कोशिका की वृद्धि कहां तक हुई है। जब बच्चा धीरे धीरे बड़ा होता जाता है। वैसे वैसे उसकी शरीर के अंगों का विकास होता जाता है। पर एक उम्र ऐसी आती है। जहां से शरीर के सभी अंग कमजोर होने की शुरुआत हो जाती है। जब बच्चा होता है तो उसने समझने की शक्ति कम होती है। पर जैसे-जैसे समय के बढ़ोतरी के साथ उसमें समझने की शक्ति मैं बढ़ोतरी देखने को मिलती है। पर जब वृद्धावस्था आती है। तब फिर से हमारा दिमाग बच्चों की बुद्धि की तरह काम करना शुरू करता है। तब हमारी समझ सकती निर्बल बन जाती है।
समझदारी
समझदारी आमतौर पर उम्र के साथ भर्ती देखने को मिलती है। पर कई हिस्सों में समझदारी उम्र से पहले ही आ जाती है और कई किस्मों में उम्र के साथ उसका विकास देखने को मिलता है। तो कई बार उम्र तो बढ़ती है पर समझदारी नहीं बढ़ती। समझदारी यानी कोई परिस्थिति को जैसी है वैसे उस परिस्थिति के अनुसार बर्ताव करना। कोई चीज कोई घटना जैसी है उसे वैसे ही समझना। यह भी समझदारी कहलाता है। वैसे तो समझदार की अनेकों व्याख्या ए हैं।
समझदारी और उम्र संबंध
सामान्य तो उम्र और समझदारी दोनों साथ में बढ़ते हैं पर कई किस्तों में आपको समझदारी और उम्र का कोई लेना-देना ही नहीं दिखेगा। कई बार आपने देखा होगा कई बच्चे छोटे होते हैं, फिर भी बहुत समझदार होते हैं। उन्हें कब क्या करना, क्या नहीं करना, कि समय पर कैसे बर्ताव करना, सब मालूम होता है। और दूसरी ओर कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिनकी उम्र तो बढ़ जाती है पर उनमें समझदारी नहीं आती। किस वक्त किस के साथ कैसे बर्ताव करना ,कैसे बात करना, कौन सी परिस्थितियों में कौन सा निर्णय लेना।
सारांश
वैसे तो सामान्य तह समझदारी और उम्र में बहुत गहरा संबंध है। पर कई किस्सो में दूर-दूर तक उनके बीच कोई नाता देखने को नहीं मिलता।