एक चक्र सुख और दुख का । | Ak chakr Sukh Aur Dukh Ka.

 

          वैसे तो सुख और दुख के अनेको व्याख्यान है। सुख और दुख ये दोनो मन की दो अलग अलग अवस्थाये है। सुख और दुख ये कोई बहार की वस्तुए नही है ये पहले से ही दोनो हमारे अंदर मौजूद होती है। ये दोनो एक दुसरे के विरुद्धी नही है ये दोनो एक दुसरे के पूरक है। किसी एक के ना होने से दुसरा अधूरा है। सुख की अनुभूति करने के लिए दुख की अनुभूति होना जरूरी है। क्यू की दुख क्या है ये जाने बिना हम सुख का आनंद नही ले सकते।

           कंई लोग है जो कहते है की पूरा जिवन ही दुख है। पर ये पूरा सच्च नही है। देखा जाए तो पूरा जीवन ही सुख है और देखे तो पूरा जीवन ही दुख है। ये आप पर निर्भर करता हे की आप दुखी होना चाहते हो या सुखी। इसे मे एक उदाहरण से आपको समझाने की कोशिश करता हू। एक गरीब है। उसे लगता है की उसके दुख का कारण उसकी गरीबी है इसलिए वो दुखी है। उसके सारे दुखो का इलाज पैसा है ऐसा उसे लगता है। पर ऐसा नही है क्यू की उसी समय कोई अमीर भी दूसरे कारणो से दुखी होता है। एक को रात मे पैसे ना होने के कारण निंद नही आती और दूसरे को जादा पैसे होने के कारण निंद नही आती । दोनो दुखी है पर दोनो चाहे तो अपनी अपनी परिस्थिति मे खुश रह सकते है। वो हमारी मानसिकता पर निर्भर करता है।
          ना तो सुख हमेसा रहता है ना तो दुख हमेसा रहता है। एक के जाने के बाद दूसरा आता है। जैसे रात के बाद दिन और दिन के बाद रात होती है। वैसे ही सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता है। ऐसे ही चक्र चलता जाता है। अगर आपका सुख किसी वस्तु या किसी व्यक्ति पर आधारित है तो वो जल्दी ही दुख मे परिवर्तित हो सकता है। क्यू की आपके सुख का आधार ऐसी चीज पर है जो एक निश्चित आयु के आयाम मे बंधा हुआ है उस से आप अनंत सुख की कामना नही कर सकते। आइए अब इसे एक उदाहरण से समझते है। एक व्यक्ति है। जिस की आर्थिक परिस्थिति निर्बल है। उस व्यक्ति के लिए 20 लाख बहोत बडी रकम है। एक दिन उसे लॉटरी मे इनाम के तौर पर 20 लाख  मिलते है। उसने अपने जीवन मे पहेली बार इतने पैसे देखे थे। वो बहोत खुश था। पर वो जादा दिनो तक खुश रह नही पाया। उसके मन मे जादा पैसे कमाने की लालच आगई। इस लालच की वजह से उसका सुख फिर से दुख मे परिवर्तित हो गया। 

        खुश रहना या दुखी होना ये हमारे हाथ मे है। इस का मतलब ये नही की हमारे जीवन मे कभी दुख नही आयेगा। दुख भी आएगा पर हमे समझना होगा की सुख हो या दुख वो लंबे समय तक नही रहता। हमे हमेसा हस के हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए। हम तभी खुश रह सकते है जब हम स्वीकार करले की सुख और दुख दोनो एक ही सिक्के के दो पहलु है। दोनो आते जाते रहते है। ना तो जादा देर तक सुख टिकता है और नाही दुख टिकता है। जो व्यक्ति इन दोनो स्थितियोमे आनंदित रह सकता है वही सही मायनो मे खुश रह सकता है। हमारे पास जो है जैसा है जितना है उसमे खुश रहना चाहिए। इसका मतलब ऐसा नही की जो हमारे पास है उस से जादा अर्जित करने की कोशिश नही करनी चाहिए। आपको पुरी मेहनत करनी है जीवन मे आगे बढने के लिए। पर इस बिच जो आपके पास है उसे नही भूलना है। क्यू की जितना आपको प्राप्त है उतना प्राप्त करने के लिए कंई लोग दिन-रात मेहनत करते है। इसीलिए हमेशा आनंदित रहे, खुश रहे और दूसरो मे खुशिया बांटते रहीए।
॥●॥ अंत:-  भूतकाल मे दो महान व्यक्तियो के बिच मे चर्चा हो रही थी। 
■तब एक व्यक्तिने दूसरे व्यक्ति से पूछा
               -: कुछ ऐसा हो तो बताओ जिसे सुनकर दुखी व्यक्ति खुश और खुश व्यक्ति दुखी हो जाए ?
■तब दूसरा व्यक्ति इतना ही बोला की
              -: यह वक्त भी गुजर जायेगा।
                  ||●||  🙏 धन्यवाद  🙏 ||●||

Leave a comment