एक गलतफहमी । Ak galatfehmi |

एक गलतफहमी……

पहले तो गलतफहमी की व्याख्या समझते हैं कि आखिर गलतफहमी किसे कहते हैं।

जो चीज जैसी हे नहीं, उसे वैसी समझ लेना को ही गलतफहमी कहते हैं। गलतफहमी में इंसान, जो बात सच नहीं है या तो फिर जो बात सच है उसे, किसी और नजरिए से ही देखने की कोशिश करता है और उसे वैसे ही समझता है जैसे वह समझना चाहता है। ना कि जैसा है वैसा समझने की बजह।

हमें कहां-कहां गलतफहमी हो सकती है।

आमतौर पर हमे रिश्तो में ओर बिजनेस में, इन दो जगहों पर ज्यादातर हमें गलतफहमी होती है। हम गलतफहमी का शिकार बनती है। जिसके कारण हमारे रिश्तो में दरार आ जाती है और कई बार तो कई रिश्ते टूट भी जाते हैं। दूसरी ओर बिजनेस मे भी ऐसा ही देखने को मिलता है। गलतफहमी के चलते दो बिजनेस पार्टनरो में लड़ाई झगड़े बढ़ जाते हैं। और अंततः एक दूसरे से बिजनेस में एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। जो बात दोनों के लिए ही बुरी साबित होती है।

गलतफहमी कब होती है।

आमतौर पर जब हम किसी बात को या किसी चीज के सत्य को पूरी तरह नहीं जानते और आधा अधूरा ही जानते हैं और आधा अधूरा हम हमारे अनुसार सोच लेते हैं, ज्यादातर गलतफहमी इसी कारण से होती हैं। या फिर हम किसी कार्य को हमारी नजर से देखने की कोशिश करते हैं, तब भी गलतफहमी हो सकती हैं। गलतफहमी हमेशा आधे अधूरे सच को जानने की वजह से ही होती है।

गलतफहमी को कैसे दूर करे।

गलतफहमी को दूर करने का एक ही उपाय है, वह यह है की स्पष्टता। अगर आपको किसी बात की गलतफहमी है वह चाहे किसी रिश्ते में हो या किसी बिजनेस में हो उसे दूर करने के लिए आपको आपके भागीदार या फिर जिस बात की गलतफहमी है उस व्यक्ति से आपको उस बात के लिए स्पष्टता करनी चाहिए। उस व्यक्ति को उस बारे में पूछना चाहिए और सब बात को स्पष्ट कर देना चाहिए। तभी जाकर आपकी गलतफहमी दूर हो सकती है। वरना इस गलतफहमी के कारण आप को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है वह चाहे रिश्तेदारी में हो या फिर आप के बिजनेस में हो।

इसीलिए जब भी कोई बात करे या कोई कार्य करें तब अपनी बात में और अपने कार्यों में स्पष्टता जरूर रखें। जिससे सामने वाले व्यक्ति को गलतफहमी ना हो और आपके बिजनेस या आपके रिश्ते में दरार ना आए।

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