दिखावे की दुनिया। | Dikhave ki Duniya.

 

दिखावा

कहानी

आज एक कहानी से कुछ समझने की कोशिश करते हैं। एक गांव था। उस गांव में सभी प्रकार के लोग रहते थे। वहां एक अमीर व्यक्ति भी रहता था। उसका नाम रमेश था। उसके पास बहुत पैसा था पर वह कभी दिखावा नहीं करता था। कि मेरे पास इतना पैसा है मैं इतना अमीर हूं। दूसरी और एक दूसरा इंसान गांव में रहता था। उसके पास भी उस अमीर जितना ही पैसा था। उसका नाम अब्दुल था। पर उसे दूसरों को दिखाने का बहुत शौक था। मानो उसको दिखावा करना बहुत पसंद था। आज इन दोनों की ही कहानी सुनेंगे।

अब्दुल को दिखावा करना बहुत पसंद था। दूसरों को दिखाना कि मेरे पास कितना पैसा है। मैं कितना अमीर हूं। यह सब उसे पसंद था। वह रोज-रोज नई-नई चीजें लाता था। जो शायद उसके काम की भी नहीं थी फिर भी दिखावा करने के लिए ही वह सब कुछ मंगवाता था। उसके धंधे में से जितनी कमाई होती थी वह सब मौज मस्ती करने में उड़ा देता था। वह कभी अपने लिए या अपने परिवार के लिए कभी पैसों को कहीं जमा या कहीं निवेश नहीं करता था। बस उसे तो दिखावा करना ही पसंद था। लोगों को दिखावा पसंद था लोग उसे नहीं उसके दिखावे को पसंद करते थे और उसे गलतफहमी थी कि लोग उसे पसंद करते हैं।

दूसरी ओर रमेश जरूरत के हिसाब से ही अपने पैसों का इस्तेमाल करता था। उसने कभी जरूर याद से ज्यादा पैसों का इस्तेमाल नहीं किया। उसके धंधे में से जितनी भी कमाई होती थी वह सब दूसरी जगहों पर निवेश करता था और कमाई में से भी कमाई करता था। वह पैसों की वैल्यू जानता था। उसे पता था की दिखावा करने से कुछ हासिल नहीं होता। दुनिया को दिखावा जरूर पसंद है पर दुनिया हकीकत पर चलती है। 

कुछ समय बीत जाने के बाद जब बाजार में मंदी आई तब दोनों के धंधा ठप हो गये। दोनों की आर्थिक परिस्थितियां बिगड़ गई और लगातार 2 साल तक बाजार में मंदी छाई रही। दोनों कंगाल होने की कगार पर आ गए। इसी बीच अब्दुल की मां बीमार पड़ गई उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल वालों ने कहा कि उनका ऑपरेशन करना पड़ेगा और ऑपरेशन की रकम बहुत बड़ी थी। अब्दुल के पास इतने पैसे नहीं बचे थे जितने ऑपरेशन के लिए जरूरी थे। तब अब्दुल ने अपने साथी जो हमेशा उसके साथ रहते थे उनसे मदद मांगी। पर उन सब ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। अब उसके पास कोई सहारा नहीं था ना वह लोग जो उसका दिखावा देखकर हमेशा उसके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे कोई उसके साथ नहीं था। तब उसे अपना मकान गिरवी रखना पड़ा और अपनी मां का इलाज करवाया। तब उसे समझ में आया की दुनिया दिखावे पर नहीं चलती हकीकत पर चलती है।

दूसरी ओर रमेश भी इन सब परेशानियों का सामना कर रहा था। पर वह इन सब परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम था। उसको उसके निवेश किए हुए पैसे बहुत काम आ रहे थे।

सारांश 

माना की दुनिया को दिखावा पसंद है पर यह भी सत्य है की दुनिया रिल पर नइ रियलिटी पर चलती है इसीलिए दिखावे की दुनिया से बहार निकले और हकीकत की दुनिया मे जिये।

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