ईस्वर के बारे मे सबकी अलग अलग सोच है कोइ कहेता है की ईस्वर है ही नहीं। तो कोइ कहेता है की ईस्वर के अलावा कुच सच ही नहीं। यहा कोई आस्तिक हैं तो कोइ नास्तिक है ।
ईस्वर वह हे जो कण कण मे विराजमान है। ईस्वर वह ह जो हमारे कर्मो का फल देता है। ईस्वर समग्र ब्रम्हाण्ड का रचयिता है। हम सब ईस्वर के ही अंश है। ईस्वर जन्म-मरण से परे हैं। वो अनंत है।
ईस्वर आकार से ऊपर है नाही उसका कोई आकार ओर नाही उनका कोई ठिकाना। वो तो सर्व व्यापी है। वो तो हर जगह मौजूद हैं। उन्हे कही ढूंढने की जरुरत नहीं। ईस्वर लोभ , क्रोध, सुख , दुख , इन्द्ररीओ इन सब से परे हैं।
वैसे तो हम ईस्वर के कई नाम जानते हैं। पर क्या सच मे वो सब उनके नाम है या कुच ओर ? नही वो सब उनके गुण है नाम नहीं। उदाहरण के तौर पर उनहोंने इस समग्र ब्रम्हाण्ड की रचना की इसी लिए उन्हे बृह्मा , संसार का संचालन करते हे इस लिये विष्णु ,पापीयो को दंडित करते है इसी लिए रुद्र , करुणा ओर दया दिखाते है इसी लिए शिव कहा जाता है। ओर ओउम् कोइ गुण ना होकर साक्षत ईस्वर का नाम है। जिससे हम उनकी उपासना कर सकते है। बाकी सब से उनके गुणों की ही उपासना हो ती है ईस्वर की नही।
पोहचाना नही सिखाता।
॥●॥ ईस्वर हर सचे ओर अच्छे काम मे हमारा साथ देेेता है।
🙏 ओउम् 🙏
Superb