मनुष्य एक सोच |

 

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मनुष्य एक सोच

आज के समय में आपको आपके पास कई अलग-अलग प्रकार के व्यक्तित्व घराते लोग देखने को मिलते होंगे यहां पर एक बात समझनी अत्यंत आवश्यक है की जन्म के समय इंसान मैं सब कुछ सामान होता है जैसे कि सब मनुष्य के अंदर दो फेफड़े होते हैं दो आंखें होती है दो कान होते वगैरा-वगैरा सब समान होता है तो फिर इंसान का व्यक्तित्व कैसे अलग होता है तो आइए जानते हैं

मनुष्य निर्माण

जब कोई बच्चा जन्म लेता है तब वह कुछ भी जानता नहीं होता है यहां तक की वह ना तो भाषा जानता है मैं तो उसे व्यक्त करना जानता है पर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है वह सब सीखना जाता है और एक अपना अलग ही व्यक्तित्व धारा ने लगता है यह बच्चे से लेकर बूढ़े होने तक का सफर जिसे हम जीवन कहते हैं यहां पर जब व्यक्ति जन्म लेता है तब वह कुछ नहीं जानता होता है और जब वह मारता है तब उसके पास जन्म के समय से ज्यादा ज्ञान होता है जैसे जैसे व्यक्ति बड़ा होता चाहता है वैसे-वैसे उसका व्यक्तित्व निर्माण पामता जाता है

आज के समय में हम इंसान जो भी है जैसे भी है उसके पीछे हमारी सोच बहुत ही जिम्मेवार हैं । वह कहावत तो आपने सुनी होगी कि जो जैसा सोचता है वह वैसा बन जाता है वह काफी हद तक सत्य साबित होती दिखती है हमें इसीलिए हमेशा अपने विचारों को ऊंचा रखें इंसान जो भी बनता है अपने विचारों से ही बनता है आपके कैरियर में आपकी लव लाइफ में आपके सामाजिक जीवन में आप क्या सोचते हो वह बहुत ज्यादा मायने रखता है अगर आपकी थिंकिंग ही नकारात्मक है तो आपके साथ हमेशा वैसी ही नकारात्मक घटनाएं कटेंगे महाराज सोचते हो कि सब कुछ सही होगा सच अच्छा होगा और उतना ही बिलीव करते हो उस पर चीज है तो नाइटी 99% वैसा ही होगा यहां पर यह नहीं है कि वैसा ही होगा परंतु वह बात जो आप सोच रहे हो वह होने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि उसमें आपका आत्मविश्वास आ जाता है आपकी भावनाएं

हम जो सोचते हैं वह कितना मायने रखता है

आज से थोड़े दशकों पहले एक बुक प्रकाशित हुई थी जिसका नाम है ” ध सीक्रेट ” इसमें कहा गया है कि आप जो सोचते हैं जिस चीज में आप विश्वास रखते हो जिससे आपकी भावनाएं जुड़ी होती हैं वैसे विचार कि आपका भविष्य बनते हैं उस बुक मैं लिखा है कि हम जो भी सोचते हैं हमारे दिमाग में वह एक तरंग की तरह पूरे ब्रह्मांड में फैलने लगती है। एक ऐसी एनर्जी जो आप से मुक्त होते हैं और वह आपके द्वारा सोची गई बात पर बहुत ही गहरा असर छोड़ जाते हैंऔर आपके द्वारा छोड़ी गई फ्रीक्वेंसी आपकी इच्छा से ही फ्रीक्वेंसी को ढूंढती है और उसे आप की ओर आकर्षित करती है और फिर वैसे ही घटना आपके साथ खटीक होती है

सारांश

हमेशा अपनी सोच उनकी रखें नकारात्मक विचारधारा रखने वाले व्यक्तियों से हमेशा दूर ही रहे नकारात्मक विचार धारा उतनी ही असरकारक होती है जितना नकारात्मक कार्य असर करता है इंसान अपनी सोच से ही निर्माण बनता है किसी भी बच्चों को आप चाहो वैसा बना सकते हो उसके लिए आपको उसके अनुकूल वातावरण खड़ा करने की जरूरत है

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