नए जमाने की भक्ति । भक्ति का सही अर्थ । naye jamane ki bhakti | bhakti ka sahi Arth |

 आज के जमाने की भक्ति और सच्ची भक्ति में काफी अंतर है। आज हम भक्ति के विषय पर चर्चा करेंगे।



आज के जमाने की भक्ति

    आज के जमाने में लोग ईश्वर की भक्ति करने के सब के अलग-अलग तरीके होते हैं। आप देख सकते हैं कि आज के जमाने में कहीं ढोंगी बाबा लोगों को ईश्वर की भक्ति में लगाने की वजह अपनी भक्ति में लगा देते हैं। और लोग उन्हें ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दे देते हैं। पर क्या यह सही है। अगर आप अपने पिताजी को छोड़कर किसी और को पिताजी कहे तो क्या आपके पिताजी  को आपके पर गुस्सा नहीं आएगा। बस यही बात है इसमें भी ईश्वर से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है। ईश्वर से ताकतवर और उससे बड़ा कोई नहीं है। तो किसी और के पाव पड़ने की बजह ईश्वर की भक्ति करना श्रेष्ठ है। पर यह आज के जमाने में लोगों को समझाना बहुत ही कठिन है। कई लोग तो समझने को ही तैयार नहीं होते।

सच्ची भक्ति

     ईश्वर का नाम लेना कोई बुरी बात नहीं है। पर उनके गुणों को आप ग्रहण करेंगे तभी सच्ची भक्ति कह लाएगी। उदाहरण के तौर पर आप श्री राम और श्री कृष्ण जी का नाम लेते हैं मैं यह नहीं कहता कि आप उनका नाम मत लीजिए। पर उनके गुणों को अपने जीवन में उतारिए जैसे कि श्री राम अपने पिताजी के बड़े ही आज्ञा पालक थे।  श्री कृष्ण जी बहुत ही चतुर थे और ब्रह्मचारी भी थे। उनका कोई तोड़ नहीं था। उनके सभी अच्छे अच्छे गुणों को अपने जीवन में उतारिए सही मायनों में वही सच्ची भक्ति कह लाएगी।

सारांश

     इस समाज में आज के समय में कई ढोंगी बाबा आ गए हैं और वह सच्ची भक्ति के बारे में बताने के अलावा सब कुछ आपको बताते हैं।  वह ईश्वर की भक्ति में आपका मन लगे उससे ज्यादा उनका उद्देश्य आपकी भक्ति उनमें लगे यही होता है। उनका उद्देश्य पैसे कमाना ही होता है। यह सब छोड़ कर आप ईश्वर का नाम लीजिए और उनके गुणों को अपने अंदर लाने का प्रयत्न कीजिए और प्रभु का धन्यवाद करते रहिए।

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