साम, दाम, दंड, भेद क्या है ? – Sam, Dam, Dand, Bhed | saam daam dand bhed meaning

साम दाम दंड भेद मीनिंग (saam daam dand bhed meaning): साम, दाम, दंड, भेद – ये चार पद्धतियाँ हैं जिनका प्रयोग हम किसी व्यक्ति को वश में लाने या अपनी मनचाही कार्य करवाने के लिए कर सकते हैं। लेकिन इन चारों का प्रयोग अधर्म और कुकर्म के लिए नहीं करना चाहिए। इन्हें धर्मिक कार्य, सुकार्य आदि करने के लिए ही उपयोग करना चाहिए। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन चारों की पद्धतियों का प्रयोग करने पर भी वे जिस व्यक्ति को प्रभावित करना चाहते हैं, उसके सामने नहीं टूटते हैं और वह व्यक्ति उनके आगे झुकने के अलावा कोई और तरीका नहीं ढूँढ़ पाता। वह व्यक्ति अटल होता है।





साम दाम दंड भेद मीनिंग 

साम, दाम, दंड, भेद

साम

साम दाम दंड भेद में साम यह पहली पद्धति है, जिसका व्यक्ति बहुत ही दुर्बल लिया मन का होता है। वह व्यक्ति इस पहेली पद्धति में ही आपकी बात से सहमत हो जाता है। इस पद्धति में व्यक्ति को बातों से समझाने की कोशिश की जाती है और उसे हमारी विचारधारा के प्रति विश्वास दिलाने की कोशिश की जाती है। अगर व्यक्ति पहली पद्धति, यानी साम से आपकी बातों से सहमत हो जाता है, जिसे आप करवाना चाहते हैं, तो वह करने को राजी हो जाता है और बात यहीं पर पूर्ण हो जाती है। हालांकि, यदि व्यक्ति साम से भी आपकी बातों से सहमत नहीं होता है, तो आपको दाम, यानी द्वितीय पद्धति का उपयोग करना चाहिए।

दाम

दाम में व्यक्ति को दाम यानी धन से लुभाने की कोशिश की जाती है। किसी भी व्यक्ति जो शांत से विचलित नहीं होता, उसे दाम से विचलित करने की कोशिश की जाती है। आज के समय में हर कोई दाम पर कोई भी कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है, परंतु सभी ऐसे नहीं होते हैं। जो व्यक्ति दाम से भी नहीं मानता, उसके लिए दंड का प्रयोग किया जाता है।

दंड

जो व्यक्ति ऊपर बताई गई दो पद्धतियों से आपकी बातों से सहमत ना हो, उस व्यक्ति पर दंड का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि कोई व्यक्ति आपकी बातों से इनकार करके आपके कार्य को करने से मना कर दे, उसे जान से मारने की धमकी देना, उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देना, उसको बर्बाद कर देने की धमकी देना, ऐसे अनेक डर दिखाकर व्यक्ति से कार्य करवाना, उसे ही दंड कहा जाता है।

भेद

जो व्यक्ति बहुत ही नीतिवान, निर्भय और निडर होता है, वह आगे के तीनों साम, दाम और दंड से नहीं डरता है और न ही पिघलता है। उस पर भेद का प्रयोग किया जाता है, यानी उसकी कमजोरियों को पकड़ा जाता है। उसके भूतकाल में उस द्वारा किए गए कोई ऐसा कार्य, जो सामाजिक तौर पर गलत है, ऐसे भेद निकालकर व्यक्ति को हमारे कार्य या हमारी बात से सहमत होने के लिए दबाव डाला जाता है। और कई लोग इसके डर से सामने वाले की बात से या उसके कार्य को करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

अटल

जो व्यक्ति इन चारों पद्धतियों से भी नहीं टूटता और न ही झुकता है, उस व्यक्ति को झुकाना या तोड़ना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है। यह मुश्किल नहीं, नामुमकिन के बराबर होता है। इस प्रकार व्यक्ति को “अटल” यानी मानसिक तौर पर मजबूत व्यक्ति कहा जाता है।

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